महा योद्धा नारी 


उन महान योद्धाओं की जो न तो अपनों की देखरेख की तनखा लेती और न ही कभी कोई छुट्टी बिना खुद की परवा किए वे अपना सारा जीवन अपनो के लिए गुजार देती है। और यदि बदले में कुछ मांगती है तो वह है कि उनके अपने उनकेा प्रेम व स्नेह दे।


     बिल्कुल सही पहचाना अपने मैं किसी और की नहीं उन लाखों करोढो महिलाओं की जो कोई और नहीं वे हमारी माँ, बहन और हमारी पत्नियां है। सरकार ने इस महामारी के चलते सबका सम्मान किया व स्वंय को सभी योद्धाओं व अन्य सहायक कर्ताओं का कर्जदार बताया और आगे बढ गई।
परन्तु इन सब के बीच जो हमारी योद्धा थी वह आज तक अपने सम्मान के लिए आगे नही आ पाई क्योंकि वह आज भी घर के काम में ही व्यस्त हैं। तो चलिए जानते है इस महायोद्धा के बारे में।


नारी क्या है।- नारी वह रचना है जिसको देवताओं ने भी पूजा है एंव जिसके घर में न होने से घर की रोनक चली जाती है। यह बात पूरी तरह से सत्य है कि नारी ईश्वर की अद्वितीय रचना हैं। अगर यही बात मैं आसान भाषा में कहूं कि नारी ईश्वर द्वारा बनाई वह रचना है जो स्वंय कि इच्छाओं को मार कर अपनें प्रियजनों की खुशियों का रखती वह नारी होती है। मैं यह मानता हूँ यदि आज हम नारियों के सम्मान में झ्ाुकते हैं तो हम उनके गुलाम नही होंगे बल्कि उनके सम्मान में उनका अभार व्यक्त करेगें।



नारी एक शक्ति- नारी एक शक्ति का स्वरूप है। आज मानव जहां भी हैं वह केवल नारी की वजह से ही वह आज पहुंच पाया हैं। पर यह बहुत दुखद बात है कि जिस नारी ने मानव को जन्म दिया है वह मानव नारी को स्वंय से छोटा व तुच्छ समझने लगा है। इतिहास भी इस बात का गवाह है जहां एक ओर शिव की शक्ति अर्थात् माँ पार्वती जो स्वंय शक्ति का स्वरूप है वही दूसरी ओर मानव नारी को तुच्छ उपमा देकर नकार देता है।



नारी एक देवी- नारी को देवी की उपमा स्वंय ईश्वर ने दी है क्योकि ईश्वर को जन्म देने वाली भी एक नारी है सतयुग से ही नारी बहुत सम्मानीय रही है नारी को देवी की तरह पूजा जाता था। पर समय के बदलने के साथ नारी का स्तर गिर गया अगर  बात करे कि नारी को आज किस स्थान पर रखा तो यह बात अपको अच्छे से पता होगी। हमारी कोशिश सदा यह होना चाहिए कि हम उनका हर स्थान पर प्राथमिकता दे।



प्राचीन काल में नारी की स्थिती- नारी की स्थिती प्राचीन काल में बहुत अधिक दयनीय थी। नारियों को पुरूषों के बराबरी करने का कोई अधिकार नहीं था। उनको केवल घर के कार्यो व पुरूषों की इच्छाओं के लिए ही रखा गया था। स्त्रियाँ प्राचीन काल से ही कोलू के बैल की तरह कार्यो में लगी रहती वे स्वंय का जरा भी खयाल नहीं रखती ऐसे में आपको उनके प्रति कैसी भावना रखनी चाहिए इस बारे में आप स्वंय अपनी विचाार धारा बनायें।

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